ब्रह्मराष्ट्र एकम परिवार ने दी पद्मश्री रामयत्न शुक्ल को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।

ब्रह्मराष्ट्र एकम परिवार ने दी पद्मश्री रामयत्न शुक्ल को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।

ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात् , पूर्ण मुदच्यते,
 पूर्णस्य पूर्णमादाय, पूर्ण मेवा वशिष्यते।
 ॐ शांति: शांति: शांतिः

अर्थात-: वह जो दिखाई नहीं देता है, वह अनंत और पूर्ण है। यह दृश्यमान जगत भी अनंत है। उस अनंत से विश्व बहिर्गत हुआ। यह अनंत विश्व उस अनंत से बहिर्गत होने पर भी अनंत ही रह गया।

देश के उत्कृष्ट ज्ञाता एवं विशिष्ट व्यक्तित्व के धनी , काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष, संस्कृत जगत के गौरव , पद्मश्री अलंकार से अलंकृत प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल जी के पंचतत्व में विलीन होने के संदर्भ में ब्रह्मराष्ट्र एकम की तरफ से दिनांक 23 सितंबर 2022 , दिन शुक्रवार को सांयकाल 6 बजे  सिगरा स्थित गाँधी नगर कॉलोनी में सीपीसी पॉवर कार्यालय के प्रांगण में सभी सनातनियों द्वारा श्रद्धांजलि दी गयी। उनके इस तरह जाने से सभी हिंदु समाज और सनातन धर्मी आहत हैं।

ब्रह्मराष्ट्र एकम के संस्थापक सचिन सनातनी जी ने कहा कि-  ब्रह्मराष्ट्र एकम के स्थापना काल से ही उनका आशीर्वाद हम सबको मिलता रहा है और वे इस संस्था के संरक्षक रहें। वही संस्था के न्यासी प. सतीश चंद्र मिश्रा जी ने कहा की उनके जीवित रहने से कई शिष्यों को संस्कृत और वेदों पुराणों की शिक्षा मिली जो आज उच्च पदों को प्राप्त हैं।

उनका इस तरह जाना हम सबके दुःख का विषय है और रविन्द्र नाथ मिश्र जी ने श्रद्धांजलि देकर कहा कि हम सबने अपना एक विद्वत समाज से मुखिया खो दिया है। इस श्रद्धांजलि सभा में विशेष उपस्थिति रही अन्नपूर्ना शास्त्री, चला सुब्बा राव और संस्था से अजय दुबे, संतोष कश्यप, सुजीत अधिकारी, राजू राजभर, अंशुल पाठक, सौरभ शुक्ला, राजेश पांडेय, कमलेश शुक्ला, भानू श्रीवास्तव, गौरव त्रिपाठी, शिवदत्त द्विवेदी, डॉ सुधीर मिश्र, शशिप्रकाश सिंह, प्रेम श्रीवास्तव आदि संस्था के पदाधिकारियों ने श्रद्धांजलि देकर ईश्वर से उनके आत्मा को शांति प्रदान करने कि भावपूर्ण प्रार्थना की ।

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