शास्त्रीय गायन की कार्यशाला का शुभारंभ

वाराणसी, 19 सितम्बर। सिडबी एवं स्पीक मैके आर्य महिला चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में बनारस घराने के शास्त्रीय गायक पंडित भोलानाथ मिश्र जी द्वारा शास्त्रीय गायन की राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ आर्य महिला पीजी कॉलेज में किया गया। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के पुरोधा कहे जाने वाले पंडित विष्णु नारायण भातखंडे जी की 86वीं पुण्यतिथि के अवसर पर छह दिवसीय इस राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए पंडित भोलानाथ मिश्र जी ने कहा कि हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के विकास में भातखंडे जी का बहुत बड़ा योगदान है।

शास्त्रीय गायन की कार्यशाला का शुभारंभ

वाराणसी, 19 सितम्बर। सिडबी एवं स्पीक मैके आर्य महिला चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में बनारस घराने के शास्त्रीय गायक पंडित भोलानाथ मिश्र जी द्वारा शास्त्रीय गायन की राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ आर्य महिला पीजी कॉलेज में किया गया।

हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के पुरोधा कहे जाने वाले पंडित विष्णु नारायण भातखंडे जी की 86वीं पुण्यतिथि के अवसर पर छह दिवसीय इस राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए पंडित भोलानाथ मिश्र जी ने कहा कि हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के विकास में भातखंडे जी का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने देशभर में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रचार प्रसार के लिए अनेक संस्थाएं और शिक्षा केंद्र स्थापित किए थे जिसमें प्रमुख है। मैरिस म्यूजिक कॉलेज जो आजकल भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय, लखनऊ के नाम से जाना जाता है

। पंडित जी ने आगे कहा कि आपने 1916 में बड़ौदा में एक विशाल संगीत सम्मेलन का आयोजन भी किया था जिसमें उन्होंने देश भर से विद्वानों से विचार विमर्श कर ऑल इंडिया म्यूजिक अकादमी की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा था।

यद्यपि उनका यह प्रस्ताव अभी पूर्ण विकसित रुप से अस्तित्व में नहीं आया है। भारत सरकार ने शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उनकी स्मृति में सन 1916 में एक डाक टिकट भी जारी किया था। आज हम सब भातखंडे स्वरलिपि पद्धति से ही संगीत पढ़ते और पढ़ाते हैं।

 
भातखंडे जी के इस सांगीतिक योगदान पर  संक्षिप्त में प्रकाश डालते हुए उन्होंने छह दिवसीय इस राष्ट्रीय कार्यशाला में सिखाई जाने वाली रागों जैसे यमन , भैरव, भैरवी, बिलावल और दादरा, ठुमरी,चैती आदि का संक्षिप्त में सैद्धांतिक परिचय दिया तथा क्रमशः दिनों के हिसाब से उनका पाठ्यक्रम निर्धारित कर प्रथम दिन संक्षिप्त में उसके प्रायोगिक स्वरूप से छात्राओं को परिचित भी कराया। 


उनके साथ इस कार्यक्रम में तबले पर आनंद मिश्रा जी तथा हारमोनियम पर शिवम मिश्रा जी संगत दी।इस कार्यशाला में कुल 40 छात्राओं ने प्रतिभगिता की। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन तथा पंडित विष्णु नारायण भातखंडे जी के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ । स्वागत महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफ़ेसर रचना दुबे जी ने, धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर बृजबाला, संचालन डॉक्टर जया रॉय ने किया। इस संपूर्ण कार्यक्रम का संयोजन डॉक्टर अनामिका दीक्षित तथा डॉ अनामिका सिंह ने किया।

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