ज्ञानवापी मामला-वाराणसी कोर्ट में होगी सुनवाई, वहीं जाय दोनों पक्ष

varanasi लाइव यूपी। काशी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले की शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों से बहस हुई। बहस के दौरान मुस्लिम पक्ष का पूरा जोर रहा कि वर्ष 1991 के कानून के मद्देनजर वाराणसी की अदालत के फैसले गैरकानूनी हैं, उन्हें खारिज कर दिया जाय।

ज्ञानवापी मामला-वाराणसी कोर्ट में होगी सुनवाई, वहीं जाय दोनों पक्ष
ज्ञानवापी मामला-वाराणसी कोर्ट में होगी सुनवाई, वहीं जाय दोनों पक्ष

ज्ञानवापी मामला-वाराणसी कोर्ट में होगी सुनवाई, वहीं जाय दोनों पक्ष
varanasi लाइव यूपी। काशी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले की शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों से बहस हुई। बहस के दौरान मुस्लिम पक्ष का पूरा जोर रहा कि वर्ष 1991 के कानून के मद्देनजर वाराणसी की अदालत के फैसले गैरकानूनी हैं, उन्हें खारिज कर दिया जाय। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले को वापस वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में सुनवाई का आदेश दे दिया। अब मुकदमे से जुड़े सभी मामले जिला जज ही देखेंगे। इस मामले में आठ हफ्ते तक सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश लागू रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को आठ हफ्ते का अंतरिम आदेश जारी किया था। 


गौरतलब है कि विश्व वैदिक सनातन संघ के पदाधिकारी जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में राखी सिंह समेत पांच हिंदू महिलाओं ने अगस्त 2021 में अदालत में एक वाद दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पास स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन

और अन्य देवी-देवताओं की सुरक्षा की मांग की थी। इसके साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थित सभी मंदिरों और देवी-देवताओं के विग्रहों की वास्तविक स्थिति जानने के लिए अदालत से सर्वे कराने का अनुरोध किया था। अप्रैल माह में वाराणसी की अदालत ने इस स्थान का सर्वेक्षण और वीडियो रिकॉर्ड करने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था।

मस्जिद की देखरेख करने वाली मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने उसी माह उसे खारिज कर दिया था। इधर, शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज होनी थी और उसी दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने नमाज पर रोक नही लगाने का आदेश दिया है। कोर्ट में नमाज और वजू के सवाल पर यूपी सरकार के वकील तुषार मेहता ने बताया कि वहां नमाज भी हुई और प्रशासन की तरफ से वहां पर वजू का भी इंतजाम किया गया।

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मुस्लिम पक्ष के वकील अहमदी ने कहाकि सर्वे रिपोर्ट गलत है। मस्जिद में शिवलिंग नही फौव्वारा है। इस पर हिंदू पक्ष के अधिवक्ता वैद्यनाथन ने एतराज किया। तबतक अहमदी बोले कि आप मुझे बोलने से नही रोक सकते। इस पर जज ने कहाकि आप दोनों मुझसे बात कीजिए। अहमदी ने कहाकि अब तो वहां की स्थिति बदल गई तो जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछ दिया कि क्या वहां नमाज नहीं हुई ? अहमदी ने कहाकि हुई लेकिन वजू नहीं हो पाया। जस्टिस सूर्यकांत ने कहाकि अभी हमने मामले का निपटारा नहीं किया है लेकिन आप जिला जज के पास आप क्यों नहीं जाना चाहते। अदालत में सर्वे रिपोर्ट लीक होने का मामला भी आया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहाकि रिपोर्ट कोर्ट जानी चाहिए थी, तथ्य मीडिया में लीक नहीं होने चाहिए थे। मुस्लिम पक्ष के वकील अहमदी ने सौहार्द बिगड़ने के डर की बात कही तो सुप्रीम कोर्ट ने कहाकि अब तक की सुनवाई में हमने वही संतुलन और सौहार्द बनाकर रखने की ही कोशिश की है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहाकि यह मामला हमारे पास लंबित रहेगा। मगर आप पहले जिला जज के पास जांय। वहां बहस कीजिए। हमारे पास आने के लिए आपके पास आगे भी अवसर रहेगा। मुस्लिम पक्ष के वकील ने जोर देकर कहाकि ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे गैरकानूनी है। इस बार जज ने फिर कहाकि यही बात आप उस जिले के जिला जज के सामने कहिए जिससे मामले की ठीक से सुनवाई हो सके। हम ज़िला जज को मामला भेजना चाहते हैं। उनको 25 साल का अनुभव है। हम यह आदेश नही देंगे कि जिला जज किस तरह से काम करें। हुजेफा अहमदी ने कहाकि अब तक के सभी आदेश कानून विरुद्ध हैं और उन्हें निरस्त किया जाना चाहिए। जज ने कहाकि पहले आप अपने आवेदन पर सुनवाई चाहते हैं। इस पर हिंदू पक्ष के वकील वैद्यनाथन ने एतराज जताया। कहाकि सुप्रीम कोर्ट ज़िला जज को इसका निर्देश न दे कि प्रतिवादी का आवेदन पहले सुनें। तब जज ने कहाकि आप दोनों अपना-अपना पक्ष जिला जज के सामने रखें।

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