महत्वपूर्ण दस्तावेज है राष्ट्र मंथन :- पायल सोनी

प्रमिला देवी फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित भव्य व गरिमामयी कार्यक्रम में पायल लक्ष्मी सोनी कृत पुस्तक "राष्ट्रमंथन"का लोकार्पण दिनांक 14 अगस्त को मैदागिन स्थित नागरी प्रचारिणी सभा मे सम्पन्न हुआ।

महत्वपूर्ण दस्तावेज है राष्ट्र मंथन :-  पायल  सोनी

प्रमिला देवी फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित भव्य व गरिमामयी कार्यक्रम में पायल लक्ष्मी सोनी कृत पुस्तक "राष्ट्रमंथन"का लोकार्पण दिनांक 14 अगस्त को मैदागिन स्थित नागरी प्रचारिणी सभा मे सम्पन्न हुआ।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वरिष्ठ कथाकार डॉ.मुक्ता,विशिष्ट अतिथि कविताम्बरा पत्रिका के संपादक व निदेशक विश्व हिंदी शोध संवर्धन अकादमी श्री मधुकर मिश्र जी,महात्मा गांधी विद्यापति के प्रो. श्रद्धानन्द जी रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के सौम्य विग्रह के सम्मुख अथितियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ,जिसमें सिद्धनाथ शर्मा ने भावपूर्ण माँ वाणी की स्तुति की। तत्पश्चात अतिथियों को ससम्मान मंचासीन कर उनका स्वागत अंगवस्त्र व माल्यार्पण किया गया।
इसके पश्चात पुस्तक राष्ट्रमंथन
की लेखिका ने बताया कि यह पुस्तक मुख्य पांच खण्डों में विभक्त है जो 160 पृष्ठ की है जो कानपुर के अमन प्रकाशन से प्रकाशित की गई है, यह पुस्तक काफी शोध के उपरांत लिखी गई हैं,जिसमे जनांदोलन का इतिहास, आपातकाल,भारत की आंतरिक व बाहरी सुरक्षा,प्रकृति से पुनर्मिलन, पत्रकारिता और साहित्य,सामाजिक परिवर्तन(किन्नर व वेश्यावृत्ति) पर विस्तृत तौर पर साक्षात्कार शामिल हैं।
डॉ. मुक्ता ने लेखिका के साहित्यिक कर्मठता की प्रशंसा करते हुए प्रस्तुत पुस्तक के श्रम साध्य की बधाई देते हुए कहा कि इसे ऎतिहासिक तथ्यों की प्रमाणित पुस्तक कह सकते है।जिसमें समाज के हाशिये पर हमेशा प्रश्न उठाता विषय किन्नर विमर्श व वेश्यावृत्ति विषयों को गंभीरता से लिखा गया है।


कार्यक्रम के अध्यक्ष प.हरिराम द्विवेदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि पुस्तक की जानकारी बड़े महत्व की है क्योंकि लेखिका ने इतिहास को जीने वाले लोगो से गंभीरतापूर्वक विचार विमर्श करते हुए यह पुस्तक लिखी है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक शोधार्थियों को लाभान्वित करेगी।मधुकर मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा यह पुस्तक विभिन्न विचार धाराओं की संगम स्थली है।यह पुस्तक हिंदी साहित्य का अनमोल प्रतिमान बनेगा।
प्रो.श्रद्धानन्द ने कहाकि लेखिका का यह कार्य सराहनीय है यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज के तौर पर लोगो के बीच पसंद की जाएगी।यह पुस्तक काफी शोध और श्रम से तैयार की गई हैं।
कार्यक्रम के अंत में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर काव्यपाठ का आयोजन किया गया जिसमें धर्मेंद्र गुप्त साहिल,बृजेश पांडेय,गौतम अरोड़ा सरस,सिद्धनाथ शर्मा,नरोत्तम शिल्पी, मंजरी पांडेय ने काव्यपाठ किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ गीतकार श्री हरिराम द्विवेदी जी ने की। इस कार्यक्रम का सरल सहज सफल व प्रभावी संचालन मां वाग्देवी के मानस पुत्र डॉ.जितेंद्र नाथ मिश्र ने किया।स्वागत भाषण वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र गुप्त ने दिया।
अंत मे प्रमिलादेवी फाउंडेशन के सहसचिव अवधेश कुमार ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में विशेष रूप से चिन्मय चटर्जी,वर्षा जायसवाल,कृष्णा जायसवाल,रजनीश पांडेय, शिवम अग्रहरि,अजीत श्रीवास्तव,अखिलेश सोनी,पूर्व पाषर्द तारकेश्वर जायसवाल,अवनीश पाठक,रविकांत मिश्र, स्वतंत्र बहादुर,शिवदत्त द्विवेदी,
श्वेता अग्रहरि,विपुल श्रीवास्तव,इत्यादि सहित बड़ी संख्या में श्रोतावृन्द उपस्थित रहे।

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