बिक गया 'सिस्टम',अधीक्षक की प्रताड़ना से कराह रही 'सलाखें' आखिर कब मिलेगा न्याय
बिक गया 'सिस्टम',अधीक्षक की प्रताड़ना से कराह रही 'सलाखें' आखिर कब मिलेगा न्याय
. प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में नारी सशक्तिकरण का हुआ अपमान |
. जिला कारागार अधीक्षक पर फिर लगा छेड़खानी जैसे गंभीर आरोप |
. आखिर कौन बन रहा इस भ्रष्टाचारी अधिकारी का सहारा |
. अपने आपको योगी के नजदीकी व जेल मंत्री बनने का दावा करता यह अधिकारी|
. शिकायत करने वाले पीड़ित पीड़िताओं को कब मिलेगा न्याय |
एक तरफ देश के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश की सरकार योगी आदित्यनाथ द्वारा बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ व महिला नारी शशक्तिकरण को लेकर तमाम योजनाएं निकाल आरहे है वही महिला अपराध को लेकर हर थानों में महिला हेल्प डेस्क बनाया गया है|लेकिन ये वाराणसी का जिला कारागार अधीक्षक आचार्य डॉक्टर उमेश सिंह अपने आदतों से बाज नहीं आ रहे है इनके ऊपर एक नाही कई मामले में गंभीर आरोप है पूर्व में जिस भी जिले में इनकी तैनाती रही है वही वही इनके कारनामे में अजीब रहे है,बीजेपी सरकार में खूंखार अपराधी या तो सुधार गए या फिर सलाखों के पीछे हैं। गलत करने वाले अधिकारी भी त्राहिमाम कर रहे हैं। फिर भी कुछ अधिकारी अगर न सुधरे तो यह साफ है कि उन्हें सत्ता का संरक्षण प्राप्त है। कुछ ऐसा ही हाल है, जब चौकाघाट जिला जेल के अधीक्षक का। वह भले ही खुद को आचार्य बताता हो, लेकिन उस लायक नहीं है।बल्कि इस जालिम दुनियाँ का ना-लायक अपने आपको सत्ता का खलनायक बताता है ,उसके खिलाफ शिकायतों की इतनी लंबी लिस्ट है कि शायद कोई गिन न पाए। बंदी तो छोड़िए, उस विभाग के कर्मचारी और अधिकारी भी पीड़ित हैं। यही कारण है कि पूर्व में कई डिप्टी जेलर खुद ट्रांसफर करा लिए। उससे पहले इसकी शिकायत भी किए, मगर अफसोस...कार्रवाई के बजाय सिस्टम ही बिक गया। यह बात अगर अन्य जिले की होती तो शायद समझ भी आती, मगर प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ऐसा भ्रष्ट अधिकारी शायद ही कोई रहा होगा।एक तरफ उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा चलाये जा रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान व दागदार अधिकारियों को भी निशाने पे लेकर उनके ऊपर कार्यवाही करते हुये उनकी संपत्ति की भी जाँच करायी जा रही है,तो वही प्रद्यानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी जिले में तैनात जिला कारागार अधीक्षक आचार्य डॉ.उमेश सिंह के कारनामे ही अजीब है। ये महोदय जिस जिले में भी जेल अधीक्षक पद पर रहे है,वही इन्होने उलटे सीधे काम किया है।वहीँ कुछ दिन पूर्व में भी वाराणसी मीडियाकर्मी प्रह्लाद गुप्ता द्वारा लगाये गये गंभीर आरोप में जाँच के दौरान दोषी पाये वाराणसी जेल अधीक्षक आचार्य डॉ.उमेश सिंह अब ताजा मामला प्रकाश में आया है की वाराणसी जिला कारागार में तैनात महिला डिप्टी जेलर ने अधीक्षक के काले कारनामे का चिटठा बनाकर अपने विभाग के आलाधिकारियों को दिया लेकिन आजतक जाँच के नाम पर हीलाहवाली करते हुए भ्रष्टाचारी अधीक्षक को बचाया जा रहा है महिला डिप्टी जेलर को गलत कार्य हेतु इतना प्रताड़ित कर दिया गया की अब उसे मिडिया का सहारा लेना पड़ा है,साथ ही मिडिया के सामने जेल अधीक्षक के करतूतों को उजागर करते हुए मुख्यमंत्री से अपने न्याय की गुहार लगाई है अब इनके कारनामो लिस्ट बताते चले |
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(बिक गया 'सिस्टम',अधीक्षक की प्रताड़ना से कराह रही 'सलाखें' ये हैं शिकायतें)
डिप्टी जेलर रिबन सिंह ने जेल में भ्र्ष्टाचार कराने का आरोप लगाया है उसकी जाँच लंबित है|
पूर्व डिप्टी जेलर रत्नप्रिया ने भी छेड़खानी सहित अन्य मामलो में गंभीर आरोप लगाया है|
गाजीपुर जेल में रहते हुए पूर्व जेलर के साथ बदसलूकी किया गया था |
सुल्तानपुर जेल में दो दलितों के हत्या के मामले में ज्यूडिशियल जाँच में दोषी पाए गए है अधीक्षक लेकिन कार्यवाही अभीतक नहीं हुई |
कुछ दिन पूर्व मीडियाकर्मी प्रह्लाद गुप्ता द्वारा किये गए शिकायत में मुख्यालय कारागार महानिदेशक ने दोषी पाया है उसपर भी अभी कार्यवाही नहीं हुयी है|
कुछ दिन पूर्व अधिवक्ता शैलेन्द्र सिंह ने भी भ्रष्टाचार का लगाया था आरोप |
जेल में अवैध कैंटीन का संचालन। जेल अधीक्षक खुद लेता 16 लाख प्रतिमाह यहाँ का राइटर है संजय
कमाई वाली जगह ड्यूटी लगाने के लिए सिपाहियों का शोषण इनके द्वारा किया जाता है |
चीफ सिपाहियों से छुट्टी के नाम पर वसूली की जाती है |
अधीक्षक द्वारा प्रति बैरक 5 हजार महीना, वसूली राइटरों से किया जाता है |
बंदियों को सोने के लिए जगह देने के नाम पर मोटी वसूली कराई जाती है !
पूर्व डिप्टी जेलर ए के सिन्हा, जयशंकर यादव के साथ दुर्व्यवहार किया गया था !
गल्ला गोदाम के राइटर मुकुल जायसवाल की मौत का जिम्मेदार है इलाज के नाम पे पैसा न देने के कारण उसे बाहर के अस्पतालों में इलाज नहीं कराया गया |
हवालात कार्यालय में सूचना पूछने वाले बंदियों से धनउगाही कराई जाती है !
हर माह 50 हजार लेकर राइटर बदलने का मामला है|
इसके खिलाफ किसी अधिकारी से शिकायत करने पर बंदी का दौरा खोलकर उसे धनउगाही की जाती है|
जेल गेट से अवैध सामान पास कराने के नाम पर वसूली!
यह शिकायतें के बानगी भर हैं। अगर जेल अधीक्षक को हटाकर सभी बंदी और सिपाही के पूछा जाए तो...दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा |
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