तूल पकड़ता जा रहा है बलिया और मध्यप्रदेश के पत्रकारों के उत्पीड़न का मामला

वाराणसी। बलिया में खबर छापने पर पत्रकारों की गिरफ्तारी और मध्यप्रदेश में विधायक के खिलाफ खबर चलाने पर मीडियाकर्मी व रंगकर्मियों को थाने में सिर्फ चड्ढी पर हवालात में बंद करने के मामले तूल पकड़ते जा रहे हैं।

तूल पकड़ता जा रहा है बलिया और मध्यप्रदेश के पत्रकारों के उत्पीड़न का मामला

liveupweb । बलिया में खबर छापने पर पत्रकारों की गिरफ्तारी और मध्यप्रदेश में विधायक के खिलाफ खबर चलाने पर मीडियाकर्मी व रंगकर्मियों को थाने में सिर्फ चड्ढी पर हवालात में बंद करने के मामले तूल पकड़ते जा रहे हैं। हालांकि जिन राज्यों की घटनाएं हैं वहां की सरकारों ने इस पर कोई ठोस रवैया नही अपनाया है। तमाम मंत्रियों, नेताओं, विचारकों से भरे संगठन को अबतक यह बहुत गलत नही लगा। प्रशासन ने भी ऐसे-ऐसे तर्क दिए जो आम आदमी के गले की नीचे नही उतर पा रही है।


मीडियाकर्मियों के साथ हुई इन घटनाओं से पहले भी देशभर में कई और घटनाएं हुईं। दुर्भाग्य यह है कि विपक्ष में रहने के दौरान यही सत्ताधारियों को मीडियाकर्मी सही लगते थे। क्योंकि उस समय वे उनके सुर में सुर मिलाते थे। आज जब उन पर सवाल उठाए जा रहे हैं तो उसे पचा पाने में मुश्किलें हो रही हैं। देश का पत्रकार कभी असंवैधानिक कार्य को समर्थन नही कर सकता। वह यह नही कह रहा

है कि असंवैधानिक कार्य करनेवालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई न की जाय। आज वह पूछ रहा है कि मध्यप्रदेश के मीडियाकर्मी व रंगकर्मियों के कपड़े क्यों पुलिस ने उतारे और सिर्फ चड्ढी पर उन्हें क्यों हवालात में रखा। यह सही है या गलत इस पर सत्ताधारी

खुलकर अपनी बात रखें। मध्यप्रदेश के मामले में थानेदार व एक इंस्पेक्टर के लाइनहाजिर जैसी कार्रवाई सरकार ने की है। भला यह कोई सजा है। महीने-दो महीने बाद फिर तैनाती मिल जाएगी। ज्यादातर मामलों में तो ऐसे पुलिसकर्मियों को पुरस्कृत किया गया है।

उधर, बलिया में तीन पत्रकारों की गिरफ्तारी के खिलाफ आंदोलन जारी है। अब इस आंदोलन का दायरा बढ़ता जा रहा है। विपक्षी दल इस आंदोलन को समर्थन देने लगे हैं। मध्यप्रदेश और बलिया की खबरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद चर्चा में आईं। अब

मध्यप्रदेश के सीधी जिले में हुई घटना में वायरल तस्वीर को देखिए। सीधी जिले के कोतवाली में बंद बिना कपड़ों के हाथ बांधे खड़े ये लोग पुलिस की हिरासत में हैं। इनमें सबसे किनारे बाईं ओर खड़े शख्स का नाम कनिष्क तिवारी है। कनिष्क एक राष्ट्रीय हिंदी न्यूज

चौनल के स्ट्रिंगर हैं। साथ ही ‘विन्ध्य टीवी’ नाम से अपना यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं। इनके साथ खड़े लोग रंगमंच यानी थिएटर के

कलाकार हैं जो इंद्रावती नाट्य समिति से जुड़े हुए हैं। इनका आरोप है कि स्थानीय विधायक के कहने पर पुलिस ने कोतवाली के अंदर उनकी पिटाई की और दुर्व्यवहार किया। बताया जा रहा है कि 2 अप्रैल 2022 को सीधी पुलिस ने रंगकर्मी और इंद्रावती नाट्य समिति

के निदेशक नीरज कुंदेर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। नीरज पर फेक फेसबुक आईडी बनाकर बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला

और उनके बेटे गुरुदत्त शुक्ला के बारे में अभद्र टिप्पणी करने का आरोप था। उन पर हुई कार्रवाई के बाद नाट्य समिति से जुड़े लोग कोतवाली पहुंच कर प्रदर्शन करने लगे। नाट्य समिति के लोगों ने बताया कि कोई अनुराग मिश्रा नाम से फर्जी आईडी है जो बघेली

भाषा में विधायक पर टिप्पणी करता रहता है। उनको संदेह हुआ कि इसके पीछे नीरज का हाथ है तो उन्होंने पुलिस पर दबाव बनाकर उसे उठवा लिया। इसके बाद रंगकर्मी कोतवाली के सामने धरने पर बैठ गए। धरने में कुछ बाहरी लोग भी आ गए जो मुख्यमंत्री के खिलाफ नारे लगाने लगे। इसके बाद सबको पकड़कर बंद कर दिया गया। सबके कपड़े उतरवा दिए गए और पिटाई की गई। मौके

पर मौजूद पत्रकार कनिष्क तिवारी को भी पकड़ लिया गया और कमरे में ले जाकर पिटाई की गई। उनके भी कपड़े उतरवा लिए गए।

नीरज का वीडियो बनाकर शेयर किया गया वह भी तब जब नीरज का मोबाइल पुलिस ने दो अप्रैल को ही ले लिया था और वह नीरज जेल में था। पत्रकार कनिष्क ने इस कार्रवाई के लिए विधायक को जिम्मेदार ठहराया है। कनिष्क का कहना है कि वह खबर कवर

करने थाने पहुंचे थे। वहां थाना प्रभारी से बात कर रहा था। रंगकर्मी धरना-प्रदर्शन कर रहे थे और साथ में आवेदन लिए थे। इतने में धरने पर बैठे लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी। इसी दौरान थाना प्रभारी के पास विधायक का फोन आता है और वो बिल्कुल आक्रामक

हो जाते हैं। इसके बाद सबको लेकर गए अंदर गई। कनिष्क का तो यह भी कहना है कि थाना प्रभारी ने मुझे अलग कमरे में ले जाकर पूछा कि विधायक के खिलाफ क्यों खबरें चलाते हो और मेरे खिलाफ भी खबर चलाते हो। इस दौरान विधायक के लोग भी मौजूद थे।

उन्होंने हमारी फोटो खींची और पूरे कपड़े उतरवा दिए। एक-एक व्यक्ति को मारा जा रहा था. दो-तीन लोगों के साथ काफी पिटाई की गई। रात भर हमें हवालात में रखा गया। अगले दिन शाम को 6 बजे छोड़ा गया। वहीं दूसरी ओर विधायक केदारनाथ शुक्ला के बेटे

गुरुदत्त शुक्ला ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। गुरुदत्त ने बताया कि उन्होंने 2-3 महीने पहले पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई थी। एक अनुराग मिश्रा नाम की आईडी से मेरे पिताजी, मेरे, मेरी बहन और जीजाजी के विरुद्ध टिप्पणी की जा रही थी और

आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया जा रहा था। मेरी शिकायत पर साइबर सेल ने तीन महीने तक जांच की और फेसबुक की ओर से मिली जानकारी के बाद कार्रवाई की गई है। जांच में ये पता चला कि नीरज कुंदेर ही यह आईडी चलाते हैं और उनका नंबर रजिस्टर

था। एसपी मुकेश श्रीवास्तव ने कहाकि थाने के अंदर की फोटो वायरल कैसे हुई इसकी जांच की जाएगी। एक फर्जी फेसबुक आईडी से यहां के जनप्रतिनिधि और उनके पुत्र के खिलाफ अनर्गल बातें लिखी थीं। जांच और फेसबुक से मिली जानकारी के बाद अपराध

पंजीकृत व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद कनिष्क तिवारी और करीब दस लोगों ने थाने के बाहर नारेबाजी और अनर्गल बातें की। इसके बाद इन्हें भी गिरफ्तार कर पुलिस अभिरक्षा में रखा गया था। लेकिन कपड़े उतरवाकर हवालात में रखने का ठोस

जवाब अब तक नही मिला है। वहीं कुछ लोगों का आरोप है कि अंडरवीयर पर फोटो एक राजनीतिक व्यक्ति के लोगों ने खींची थी और उन्हें अपमानित करने के लिए फोटो वायरल कर दिया गया।

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