वाराणसी मीडियाकर्मी की शिकायत पर जिला जेल अधीक्षक पाए गए दोषी।

वाराणसी मीडियाकर्मी की शिकायत पर जिला जेल अधीक्षक पाए गए दोषी।
बाकी आरोपों की जाँच जारी है और इनके कारनामे भी जारी है।
एक तरफ उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा चलाये जा रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान व दागदार अधिकारियों को भी निशाने पे लेकर उनके ऊपर कार्यवाही करते हुये उनकी संपत्ति की भी जांच करायी जा रही है,तो वही प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी जिले में तैनात जिला कारागार अधीक्षक आचार्य डॉ.उमेश सिंह के कारनामे ही अजीब है। ये महोदय जिस जिले में भी जेल अधीक्षक पद पर रहे है,वही इन्होने उलटे सीधे काम किया है।
वाराणसी मीडियाकर्मी प्रहलाद गुप्ता द्वारा लगाये गये गंभीर आरोप में जांच के दौरान प्रथम दृष्टया दोषी पाये वाराणसी जेल अधीक्षक आचार्य डॉ.उमेश सिंहको डीजी जेल जबाब तलब किया है |
अपने आपको सूबे की सरकार/मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी बताने वाले और 2027 में जेल मंत्री होने का दावा करने वाले वाराणसी कारागार अधीक्षक आचार्य डॉ.उमेश सिंह के खिलाफ शिक़ायत पत्र की जाँच ईमानदार साफ सुथरी छवि के अधिकारी मुख्यालय कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं लखनऊ के महानिदेशक पी.वी.रामाशास्त्री के द्वारा किया गया था जाँच। जिसमे महानिदेशक द्वारा जांच में दोषी पाते हुए यह स्पष्ट किया है,की आपके कारागार अधीक्षक जैसे संवेदनशील व महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए जेल में निरुद्ध बंदी से निरुद्दी के दौरान व्यापारिक एवं अन्य संबंध रहे है,जिसके परिणाम स्वरूप बन्दी के रिहाई के बाद आपके द्वारा बन्दी के फोन,व्हाट्सएप कॉल व्हाट्सएप मैसेज किया गया जो एक सरकारी अधिकारी हेतु कदापि उचित नहीं है।प्रथम दृष्टया दोषी पाये गये है।
ये जिन जिन जिले में भी तैनात रहे है इन पर गंभीर आरोप लगते रहे है,बात इतनी सी है की आरोपों की जाँच जारी है और इनके कारनामे भी जारी है,ऐसे में एक सवाल व्यवस्था पे बनता ही है की इन्हे बचाने में किसका हित है और कौन इनसे अपना हित साध रहा है।ऐसे देखे तो जेलों की व्यवस्था पर गंभीर आरोप लगते रहे है जेलों के अंदर भी अपराध की दुनिया फलती फूलती है ये किसी से छुपा नहीं है ऐसे में सूबे की सरकार पर भी सवाल बनता की जो लोग जेल व्यवस्था की देखरेख कर रहे है उनका दामन कितना पाक साफ़ है,दरअसल जेल व्यवस्था को एक बड़े ऑपरेशन की जरुरत ताकि दागदारो पर कार्यवाही हो और जेलों के हालात सुधरे नहीं तो बंदी सुधार गृह (जेल) अपराध और अपराधियों के सुरक्षित ठिकाने बन जायेंगे ये हमेशा विवादो के घेरे से बचते चले आ रहे है,क्योंकि ये अपने आपको मुख्यमंत्री के आदमी बताते है यही नहीं इनके ऊपर एक आरोप नहीं बल्कि दर्जनों से ऊपर लगाए गए आरोप है कुछ मामलो में दोषी पाए गए तो कुछ ऐसे गंभीर मामले है जिसमे अभीतक जाँच प्रचलित है,इनके खिलाफ अनेको इस तरह आरोप है,बात बिलकुल साफ़ है की बिना आग धूआँ नहीं उठता कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ तो है,और इस मनबढ़ के गड़बड़ को कोई न कोई सय दे रहा है इसे बचा रहा है।दरअसल आपको बताते चले की सच का उजागर करने वाले वाराणसी मीडियाकर्मी प्रह्लाद गुप्ता को साजिशन कानून का दुरुपयोग कर उसे कई मामलो में फॅसाकर उसे सन 2020 में वाराणसी कारागार भेज दिया गया था उसके बाद सन 2024 अक्टूबर महीने में माननीय उच्च न्यायलय इलाहाबाद के आदेश पर उस मीडियाकर्मी प्रह्लाद गुप्ता की रिहाई हुई,रिहाई होने के बाद जिला कारागार के अधीक्षक आचार्य डॉक्टर उमेश सिंह द्वारा कराये जा रहे भ्रष्टाचार व अवैध तरीके से बंदियों को प्रताड़ित कर धनउगाही करने के साथ साथ अन्य कई मामलो में गंभीर आरोप लगाया गया थाऔर तो और मीडियाकर्मी प्रह्लाद गुप्ता के रिहाई के बाद जिला जेल अधीक्षक द्वारा उसके नंबर पर लगातार फोन करने के साथ व्हाट्सएप मैसेज करके उसे परेशान कर रँगदारी माँगने का कोशिश किया गया था इसके बाद कारागार से छूटे मीडियाकर्मी प्रह्लाद गुप्ता ने माननीय सर्वोच्च न्यायलय मुख्य न्यायाधीश महोदय दिल्ली व माननीय उच्च न्यायलय मुख्य न्यायाधीश व माननीय राष्ट्रपति महोदया व प्रधानमन्त्री व उत्तर प्रदेश सरकार/मुख्यमंत्री,उत्तर प्रदेश राजयपाल,उत्तर प्रदेश पुलिस,उत्तर प्रदेश मुख्यालय कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं,व कारागार मंत्री द्वारा सिंह चौहान से लेकर वाराणसी जिलाधिकारी,पुलिस कमीश्नर,जेल DIG के साथ साथ उत्तर प्रदेश के शासन प्रशासन को वाराणसी जिला कारागार के अधीक्षक आचार्य डॉक्टर उमेश सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार व रंगदारी जैसे अन्य मामलो में शाक्ष्य के साथ सलग्न कर शिकायत पत्र भेजा गया था उस सन्दर्भ में कई विभाग के अधिकारीयों की ओर से जाँच में लापरवाही बरतते हुये आरोपी जेल अधीक्षक को भरपूर बचाने का प्रयास किया गया साथ ही शिकायतकर्ता के ऊपर उल्टा थाना लालपुर पांडेयपुर वाराणसी पुलिस के ऊपर नाजायज दबाव बनाकर जेल अधीक्षक द्वारा अपने सरकारी पद पर अधीक्षक होते हुए पद व कानून का दुरुपयोग कर रंगदारी व जान से मारने की धमकी के मामले में फर्जी मुकदमा पंजीकृत कराया गया था जिसमे अभीतक विवेचना प्रचलित है और अभीतक अधीक्षक द्वारा विवेचना अधिकारी श्रीरामउपाध्यय को कोई भी ठोस मजबूत शाक्ष्य नहीं दे पाया है साथ ही बताते चले की शिकायतकर्ता मीडियाकर्मी प्रह्लाद गुप्ता के शिकायत पे अभीतक उत्तर प्रदेश मुख्यालय कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं के कारागार महानिदेशक पी.वी. रामाशास्त्री के द्वारा किए गए जांच में साक्ष्य के आधार पर यह जिला जेल अधीक्षक के ऊपर आरोप सिद्ध हुआ है की सरकारी कार्य करते हुए कारागार अधीक्षक के पद का दुरूपयोग आचार्य डॉक्टर उमेश सिंह के द्वारा शिकायतकर्ता के जेल से छूटने के बाद उसके फोन पर कॉल व व्हाट्सएप मैसेज किया गया है,इस मामले में दोषी पाये जाते है,साथ ही 15 दिन के अंतराल का समय में जेल महानिदेशक द्वारा अधीक्षक से स्पष्टीकरण माँगा गया है आपने ऐसा किया है और क्यों किया है इसका जवाब क्या आता है वाराणसी की मीडिया को अब इसका इंतजार है।अब देखने वाली बात यह है की इसके आगे की कार्यवाही होती है या मामले में लीपापोती की जायेगी।
इस अधीक्षक पर सुल्तानपुर जेल में तैनाती के दौरान दो दलित बन्दीयो के हत्या का आरोप लगा जिसमे ज्यूडिशियल जाँच में दोषी पाए गये है लेकिन अपने ऊपरी रहनुमाओ के मदद के चलते इनपर कोई कार्यवाही अबतक नहीं हुई,मनबढ़ जेल अधीक्षक के अनंत किस्से कहानिया है|
आगरा में रहते हुये आगरा जेल के जेलर रिबन सिंह ने इनके द्वारा जेल में कराये जा रहे भ्रष्टाचार पे लगाम कसा था और उच्चाधिकारियों को इनके बारे में शिकायत की थी मामला अभी तक जाँच प्रक्रिया में फंसी हुई है!
वाराणसी कारागार में तैनात रही महिला जेलर ने भी इनपर जेल के अंदर नशीला पदार्थ बेचने व भ्र्ष्टाचार व छेड़खानी किये जाने गंम्भीर आरोप लगाया था इस मामले में भी जाँच लंबित और एक महिला अधिकारी को अबतक न्याय नहीं मिला
वाराणसी/चंदौली के अधिवक्ताओं ने भी जेल अधीक्षक के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में आवाज उठाया है ये जाँच भी लंबित है|
भ्रष्टाचारी जेल अधीक्षक के जरिये जेलों में बन रहे अपराधियों के सुरक्षित ठिकाने;-क्योंकि जेल में अपराधियों से करायी जा रही व्यापार जेल के अंदर जितना भी अवैध व्यापार किया जा रहा है ये सब जेल में बन्द अपराधियों से कराया जा रहा है इसका लाभ जेल अधीक्षक व जेल में बन्द अपराधियों को मिलता है|
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