कारगिल विजय दिवस: 'उनकी बहादुरी हमेशा प्रेरणा बनी रहेगी...': पीएम मोदी ने कारगिल नायकों को दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगिल युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए बुधवार को कहा कि उनकी बहादुरी देशवासियों के लिए हमेशा प्रेरणा बनी रहेगी। युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत का प्रतीक कारगिल विजय दिवस पर पीएम मोदी ने सैनिकों की वीरता को याद किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगिल युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए बुधवार को कहा कि उनकी बहादुरी देशवासियों के लिए हमेशा प्रेरणा बनी रहेगी। युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत का प्रतीक कारगिल विजय दिवस पर पीएम मोदी ने सैनिकों की वीरता को याद किया।
प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर लिखा, "कारगिल विजय दिवस भारत के उन अद्भुत शूरवीरों की वीर गाथा को सामने लाता है, जो देशवासियों के लिए सदैव प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। इस विशेष दिन पर मैं उन्हें हृदय से नमन करता हूं और सलाम करता हूं।"
राजनाथ सिंह ने दी युद्ध नायकों को श्रद्धांजलि
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी 1999 के कारगिल युद्ध के नायकों को उनकी वीरता और बलिदान को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो संदेश साझा करते हुए कहा, "कारगिल विजय दिवस पर, देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सभी योद्धाओं को सलाम!"
लद्दाख में विजय दिवस कार्यक्रम
इस बीच, विजय दिवस मनाने और 1999 के कारगिल में 500 से अधिक सैनिकों की शहादत की याद में दो दिवसीय कार्यक्रम मंगलवार, 25 जुलाई को लद्दाख में शुरू हुआ। समारोह लामोचेन व्यू प्वाइंट पर शुरू हुआ, जहां युद्ध नायकों और शहीद सैनिकों के परिवारों ने बहादुरों को याद किया। शौर्य संध्या के नाम से मशहूर इस उत्सव की शुरुआत लद्दाख स्काउट्स रेजिमेंटल सेंटर फ्यूजन बैंड द्वारा देशभक्ति गीतों की भावनात्मक प्रस्तुति के साथ हुई।
कारगिल विजय दिवस
यहां बता दें कि भारत कारगिल युद्ध में पाकिस्तान पर अपनी जीत के 24 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। कारगिल युद्ध के दौरान कर्तव्य पथ पर सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों की वीरता और बलिदान का सम्मान करने के लिए हर साल 26 जुलाई को 'कारगिल विजय दिवस' मनाया जाता है। 26 जुलाई, 1999 को, भारतीय सेना ने "ऑपरेशन विजय" की सफल परिणति की घोषणा की थी, जिसमें कारगिल की बर्फीली ऊंचाइयों पर लगभग तीन महीने की लंबी लड़ाई के बाद जीत की घोषणा की गई थी, जिसमें सुपर-ऊंचाई वाले स्थान टोलोलिंग और टाइगर हिल भी शामिल थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 500 से ज्यादा सैनिकों ने देश की सुरक्षा और कल्याण के लिए अपनी जान दे दी।
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