काशी की काष्ठ कला से रूबरू होंगे जी-20 के सदस्य

वाराणसी, 24  जनवरी: काशी की काष्ठ कला से अब जी-20 के सदस्य भी रूबरू होंगे। उन्हे उपहार के रूप में जीआई और ओडीओपी उत्पाद लकड़ी के खिलौने दिये जाएंगे, जिससे लकड़ी का खिलौना तैयार करने वाले लाेगों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल सके।

काशी की काष्ठ कला से रूबरू होंगे जी-20 के सदस्य

काशी की काष्ठ कला से रूबरू होंगे जी-20 के सदस्य 

पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ ने जीआई और ओडीओपी उत्पादों को पूरे विश्व में दिलाई नई पहचान 

मेहमानों को जीआई और ओडीओपी लकड़ी के खिलौने उद्योग से जुड़े उत्पाद उपहार में देने की चल रही तैयारी


वाराणसी, 24  जनवरी: काशी की काष्ठ कला से अब जी-20 के सदस्य भी रूबरू होंगे। उन्हे उपहार के रूप में जीआई और ओडीओपी उत्पाद लकड़ी के खिलौने दिये जाएंगे, जिससे लकड़ी का खिलौना तैयार करने वाले लाेगों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल सके।

विशेष मिरर फ्रेम और फोटो फ्रेम का किया जा रहा तैयार 
पीएम मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जीआई और ओडीओपी उत्पादों को पूरे विश्व में नई पहचान दिलाई है। एक बार फिर जी - 20 देशों की बैठकों में 20 देशों के मेहमानों के बीच काशी के शिल्पियों को अपना हुनर दिखाने का मौका मिलेगा। लकड़ी खिलौना उद्योग से जुड़े बिहारी लाल अग्रवाल ने बताया कि जी -20 सम्मेलन के आयोजन में आने वाले मेहमानों के लिए 2500 लकड़ी का विशेष मिरर फ्रेम और फोटो फ्रेम बनाया जा रहा है, जो पूरी तरह से लकड़ी का होगा और प्राकृतिक रगों से रंगा होगा। आर्डर को तैयार करने में जुटी शुभी अग्रवाल ने बताया कि सभी फ्रेम में काशी के कारीगरों के हाथों का हुनर दिखेगा, जो लोलार्क कुंड स्थित कारखाने में बन रहा है। पुरातन परंपरा के  साथ आधुनिकता को ध्यान में रखते हुए फ्रेम को डिज़ाइन किया गया है।

24 सेंटीमीटर लंबा और 19 सेंटीमीटर चौड़ा तैयार किया जा रहा फ्रेम
शुभी ने बताया कि फ्रेम में राष्ट्रीय पक्षी मोर, तोता, फूल आदि आकृतियां बनाई जा रही हैं। पांच तरह के प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जा रहा है। लगभग 24 सेंटीमीटर लंबा 19 सेंटीमीटर चौड़ा ये फ्रेम लटकाने के साथ स्टैंड पर रख कर इस्तमाल में लाया जा सकता है। पीएम मोदी और सीएम योगी ने सदियों पुरानी हस्तशिल्प की इस कला को विश्व मंच पर पुनर्स्थापित किया है, जिससे शिल्पियों के हाथों को काम मिल रहा है। जी-20 में आने वाले मेहमानों को इसे उपहार के रूप में देने से सीधे तौर पर लगभग 55 हाथों को काम मिला है, जिसमें 48 महिलाएं रोजग़ार पाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं।

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