लावारिस बेशकीमती भूमि पर दर्ज हो गया भूमाफियाओं का नाम
अपर मुख्य सचिव के आदेश की अवहेलना कर राजस्व शिकायत की जांच कर रहे हैं लेखपाल

वाराणसी। खरबो रूपये मूल्य की बेशकीमती लावारिस भूमि के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय से स्थगनादेश पारित होने के वावजूद भी नायब तहसीलदार ने उक्त भूमि पर भूमाफियाओं का नाम दर्ज कर दिया। जिसके खिलाफ जनसूनवाई पोर्टल के माध्यम से दर्ज शिकायत की जांच अपर मुख्य सचिव के आदेश के विपरीत हल्का के लेखपाल को सौप दी गयी है। जिससे शिकायतकर्ता में जबरदस्त रोष व्याप्त है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नगवां वार्ड के खाता सं. 868 की आराजी सं. 49 रकबा 6640 हे के भूमि स्वामियों के मृत्योपरान्त लगभग 73 वर्षो बाद की किसी सक्षम न्यायालय में वारिसान होने का दावा प्रस्तुत नही हुआ। हल्का के लेखपाल की लापरवाही की वजह से उक्त बेशकीमती लावारिस भूमि पर उत्तर प्रदेश सरकार का नाम दर्ज कागजात नही किया गया।
रामशंकर ने बताया कि उक्त भूमि के वावत जिलाधिकारी के निर्देश पर माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में विचाराधीन याचिका उत्तर प्रदेश सरकार बनाम अनिता खेमका आदि में स्थगनादेश पारित होने के बाद भी नायब तहसीलदार ने अपने क्षेत्राधिकार का दुरूपयोग कर उक्त विवादित बेशकीमती भूमि पर भूमाफियाओं का नाम दर्ज कर अनुचित लाभ प्राप्त किया है।
उनका आरोप है कि नगरनिगम ने साक्ष्य संकलन किये बिना ही उक्त बेशकीमती लावारिस भूमि पर भवन सं. बी 31/34ए का आवंटन कर दिया। लाखो रूपया भवनकर व जलकर बकाया होने पर मौके पर वसूली करने पहुंचे राजस्वकर्मियो को न तो भवन मिला और न ही भवन स्वामी मिले। राजस्वकर्मियों ने भूमाफियाओं से सांठगांठ कर उक्त भवन की बकाया राजस्व वसूली किये बगैर मामले की लीपापोती कर दी गयी।
उनका आरोप है कि उक्त बेशकीमती लावारिस भूमि पर नगरनिगम ने भवन सं. बी 31/34 आवंटित किया जिसके भवन स्वामी का नाम पूर्व में तत्कालीन जोनल अधिकारी ने खारिज कर दिया था परन्तु वर्तमान जोनल अधिकारी ने भूमाफियाओं के दबाव में बहाल कर राजस्व की वसूली किया है।
उनका आरोप है कि पूर्व में उक्त बेशकीमती लावारिस भूमि के सम्बन्ध में भूमाफियाओं द्वारा नीलामी दस्तावेज तैयार की गयी थी जिसे माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने सौदिग्ध व कपटपूर्ण करार दे दिया था। जिससे भूमाफिया उक्त भूमि को हड़पने में कामयाब नही हो सके। परन्तु बाद में भूमाफियाओं ने नायब तहसीलदार को साजिश में करके भरण-पोषण दस्तावेज के आधार पर बैनामा दस्तावेज तैयार कर अपने को बैनामेदार का उत्तराधिकारी बन बैठै। जबकि न तो भरण-पोषण दस्तावेज के आधार पर भूमि का बैनामा करने का अधिकार हासिल है और न ही बैनामेदार के भूमाफिया उत्तराधिकारी ही है। उन्होने बताया कि नायब तहसीलदार के निर्णय को उपजिलाधिकारी न्यायालय में चुनौती दी गयी है, इसके बावजूद भी भूमाफिया उक्त बेशकीमती लावारिस विवादित भूमि को बिक्रय कर अवैध धन उगाही करने का प्रयास कर रहे हैं। और जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक है।
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