ज्ञानवापी विवाद-हिंदू व मुस्लिम पक्ष ने 45 मिनट तक रखे अपने-अपने पक्ष

varanasiवाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी विवाद मामले की सोमवार को बनारस( varanasi) के जिला जज की कोर्ट में करीब 45 मिनट सुनवाई हुई। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दोनों पक्षों के 19 वकील और चार याचिकाकर्ता मौजूद रहे। इस दौरान दोनों पक्षों में अपना-अपना पक्ष रखा।

ज्ञानवापी विवाद-हिंदू व मुस्लिम पक्ष ने 45 मिनट तक रखे अपने-अपने पक्ष

varanasiवाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी विवाद मामले की सोमवार को बनारस( varanasi) के जिला जज की कोर्ट में करीब 45 मिनट सुनवाई हुई। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दोनों पक्षों के 19 वकील और चार याचिकाकर्ता मौजूद रहे। इस दौरान दोनों पक्षों में अपना-अपना पक्ष रखा।
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ी सर्वे रिपोर्ट शनिवार को ही कोर्ट को सौंप दी गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कोई फैसला सुनाने पर रोक लगा दी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी की जिला कोर्ट में भेज दिया।

साथ ही यह कहाकि आप दोनों पक्ष अपना-अपना पक्ष वहीं जिला जज के समक्ष प्रस्तुत करें। हालांकि जिला जज की अदालत में सुनवाई के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में शामिल रहे कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को अदालत में जाने से रोक दिया गया। कोर्ट में उपस्थित होनेवालों की सूची में उनका नाम नही था। गौरतलब है कि मुस्लिम पक्ष ने अजय मिश्रा पर एकपक्षीय कार्रवाई करने का आरोप लगाया था। उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक किया। ज्ञानवापी मामले में सुनवाई को देखते हुए कचहरी परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। दूसरी ओर सुनवाई को लेकर उत्सुक लोगों की कचहरी परिसर और आसपास में भीड़ लगी थी। लेकिन फोर्स भीड़ को कहीं ठहरने नही दे रही थी। बताया जाता है कि अदालत में प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट के सेक्शन तीन और चार पर बहस हुई। अब मंगलवार को आगे की कार्यवाही होगी। जिला जज ने दोनों पक्षों के प्रार्थना पत्रों के बारे में जानकारी ली। जिला जज की कोर्ट में जिन मामलों की सुनवाई होनी है उनमें पांच महिलाओं की ओर से ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थित माता शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति और वहां मौजूद अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों को संरक्षित किये जाने की मांग की गई है। इसके अलावा ज्ञानवापी मस्जिद की तीन दिनों तक चली सर्वे की कार्रवाई की रिपोर्ट पर सुनवाई होगी। इसके साथ ही अदालत यह भी तय करेगी कि ज्ञानवापी मामले में उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम-1991 लागू होता है या नहीं। 20 मई को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने ज्ञानवापी केस को वाराणसी जिला जज की कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने 51 मिनट चली सुनवाई में साफ शब्दों में कहा था कि मामला हमारे पास लम्बित है। पहले दोनों पक्ष जिला कोर्ट में जांय और वहां अपना-अपना पक्ष रखें।
गौरतलब है कि सुपीम कोर्ट ने कहा था कि जिला जज 8 हफ्ते में अपनी सुनवाई पूरी करेंगे। तब तक 17 मई की सुनवाई के दौरान दिए गए निर्देश जारी रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 21 मई को सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट से ज्ञानवापी प्रकरण से संबंधित पत्रावली जिला जज की कोर्ट में स्थानांतरित कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को अपने आदेश में कहा था कि शिवलिंग के दावे वाली जगह को सुरक्षित किया जाए। इसके साथ ही मुस्लिमों को नमाज पढ़ने से न रोका जाए। अभी सिर्फ 20 लोगों के नमाज पढ़ने वाला आदेश लागू नहीं। यह निर्देश अगले 8 हफ्तों तक लागू रहेंगे। इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।
पूर्व महंत पहुंचे अदालत, मांगा पूजा का अधिकार


वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर अधिग्रहण से पूर्व महंत परिवार के अधिकार क्षेत्र में था। पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी और उनके परिवार के लोग ही मंदिर की पूजा-अर्चना आदि के कार्य सम्पन्न कराते थे। पिछले दिनों सर्वे के दौरान जब मस्जिद के वजूखाने में

शिवलिंग मिलने का दावा किया गया तो पूर्व महंत कुलपति तिवारी ने बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहाकि अकबर के शासन काल में राजा टोडरमल के सहयोग से हमारे पूर्वज ने ही वहां शिवलिंग की स्थापना कराई थी। मस्जिद परिसर में पहले चार मंडपम थे।

इधर, पूर्व महंत सोमवार को जिला जज की अदालत में याचिका दाखिल करने पहुंच गए। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के स्नान, भोग-राग, शृंगार और पूजापाठ का अधिकार उन्हें दिया जाए। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार बिना राग-भोग- सेवा के बाबा नहीं रह सकते। उन्होंने कहा कि हम न्यायिक तरीके से अपने भगवान विश्वेश्वर की पूजा का अधिकार मांगने आए हैं। वजूखाने में शिवलिंग ही मिला है। क्योंकि मस्जिद में क्या है और कहां है यह सब उनके परिवार को पता है।

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत के इस बयान पर कि शिव प्रकट हो गए हैं

, अब उनकी पूजा की जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। इस पर मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने सवाल किया कि क्या इसके पहले काशी शिव विहीन थी ? अगर शिव आज प्रकट हुए हैं तो मंदिर में जिस शिव की आराधना कर रहे हैं वह कौन हैं। क्या वह डुप्लिकेट शिव हैं...? ज्ञानवापी परिसर के तहखाने के वीडियो और सर्वे रिपोर्ट सोशल मीडिया में वायरल होने के सवाल पर अभय नाथ यादव ने कहा कि हम अदालत से इसकी भी जांच की मांग करेंगे। यह गंभीर षड्यंत्र प्रतीत हो रहा है। सर्वे रिपोर्ट लीक होने से सभी एडवोकेट कमिश्नर भी संदेह के घेरे में हैं। एक एडवोकेट कमिश्नर को अदालत ने बर्खास्त किया है।

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