जब भी शिव के मंदिर जाएं भगवान शंकर के चौखट को लांघ कर ही जाएं- प्रदीप मिश्रा

शिवमहापुराण कथा का छठवां दिन
जब भी शिव के मंदिर जाएं भगवान शंकर के चौखट को लांघ कर ही जाएं- प्रदीप मिश्रा
- शिव के द्वारा जाते हुए उनके चौखट को प्रणाम करके ही अंदर जाना चाहिए। कभी भी चौखट पर पांव नहीं रखना चाहिए चौखट को लांघकर ही जाना चाहिए।
- देवता भाग्य लिखते हैं महादेव भाग्य पलट देते हैं
श्री सातुवा बाबा गौशाला डोमरी में महामंडलेश्वर श्री संतोष दास सातुवा बाबा जी के सानिध्य में 20 नवंबर से आयोजित सात दिवसीय शिव महापुराण कथा के छठवें दिन पंडित प्रदीप मिश्रा जी (सीहोर वाले) द्वारा शिव महापुराण कथा को प्रारंभ करने से पहले श्रीराम चंद्र कृपाल भजमन, हनुमान चालीसा व श्रीराम जानकी बैठे है मेरे सीने में के साथ गणेश वंदना और ओम नमः शिवाय की धूनी से कथा का आरंभ किया। शिव धुनी में श्रोता मंत्र मुग्ध होकर झूमते रहे उसके ऊपर शहनाई की धुन लोगों को थिरकने से रोक नहीं पाई और सब पंडाल और कथा क्षेत्र भक्ति में हो गया। कथा को आगे बढ़ाते हुए गुरु जी ने कहा कि 10 अश्वमेध यज्ञ का फल एक बार बाबा विश्वनाथ के दर्शन से मिल जाता है कहते हैं कि हजारों हजार यज्ञ का फल शिवलिंग के दर्शन से मिल जाता है। शिव महापुराण की कथा में पारो की कहानी के बारे में बताया कि किस प्रकार पारो के जीवन में दुख इतना अपार पड़ गया कि सारा धन वैभव संपदा सब परिवार वालों ने ले लिया कुछ भी नहीं बचा। दूसरों के घरों में जाति बर्तन मांज लेती तो थोड़ा कुछ मिल जाता, तो बच्चों का भरण पोषण करती थी। एक दिन बेटा रोता हुआ बोला मां अपने पास में कुछ भी नहीं है। कहते है भारत की स्त्री, मां ऐसी होती है जो अपने बच्चों को हमेशा बल देती रहती है। तो पारो कहती है कि कौन कहता है कि तुम्हारे पास कुछ भी नहीं है क्यों तुम चिंता करते हो बहुत कुछ है हमारे पास भगवान की शक्ति और उसका नाम है। तू चिंता मत कर तू भगवान की भक्ति कर। बच्चा भगवान नारायण के पास जाता है माता लक्ष्मी ने कहा कि इसके पास कुछ नहीं है इसको कुछ तो दो प्रभु। भगवान नारायण ने एक हीरे का रतन जड़ित हार से दिया वह चिल ले गया। भगवान ब्रह्मा के पास गया। वहां से अंगूठी मिली अंगूठी लेकर जब वह पानी पीने गया तो वह पानी में गिर गया रोता हुआ मां के पास गया मां ने कहा घबरा मत तू भगवान शंकर के चौखट पर चल। बेटा सोचा भगवान शंकर क्या हमको देंगे।मां से कहा कि महादेव क्या सोने देगा चांदी देगा। वहां एक संत जा रहा था उसने सुना तो कहा कि शंकर भगवान ना तुझे सोने देंगे ना चांदी देंगे ना हार देंगे। शिव तुम्हारी किस्मत अवश्य पलट देंगे। देवता भाग्य लिखते हैं महादेव भाग्य पलट देते हैं। भाग्य में लिखा हुआ केवल शिव के अंदर ही क्षमता है कि वह इसको पलट सकता है।
।।अकाल मृत्यु वह मरे जो काम करें चांडाल का काल उसका क्या बिगाड़े जो भक्त हो महाकाल का।।
कथा में काशी का वर्णन करते हुए कहा कि मां पार्वती को लेकर भगवान भोले शंकर इस काशी में क्यों आए क्यों पहुंचे उन्होंने पार्वती जी को इस भूमिका दर्शन कराया और कहा कि इसका दर्शन कीजिए यह सहज भूमि नहीं है इसके दर्शन मात्र से सारे पापों को क्षीण कर देता है।
कथा के अंत में भगवान भोलेनाथ की झांकी व आरती के साथ कथा का समापन हुआ। इस बीच मंच पर महामंडलेश्वर श्री संतोष दास सतुवा बाबा के साथ आयोजन समिति के सदस्य संजय केसरी संदीप केसरी आत्मा विश्वेश्वर प्रदीप मानसिंहका धीरज गुप्ता महेंद्र चतुर्वेदी संजय महेश्वरी सीताराम अग्रहरि निधि सिंह सहित लाखों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
कथा के बीच में वर्णन
- लिखा हुआ पलटने की शक्ति यदि किसी में है तो वह भगवान शिव में है।
- चिंता छोड़कर चिंतन की ओर बढ़े।
- जिसे भगवान शिव के नाम की माला जपने शुरू कर दी वह मालामाल हो जाएगा।
- रामकृष्ण परमहंस जी के बारे में बताया कि स्वामी विवेकानंद जी बार-बार कहता की मां से कह दीजिए कि मेरे शरीर का रोग समाप्त कर दें एक दिन परमहंस जी मन को पुकारने के बाद मां आ गई और मां ने पूछा कि बोलो राम कृष्ण तुमको क्या चाहिए परमहंस ने कहा जब मेरे प्राण छूटे तो मैं तेरे गोद में रहूं। मां ने कहा की विवेकानंद ने तुमसे अपने रूप को ठीक करने के लिए कहा और तुम कुछ और मांग रहे हो इस पर परमहंस जी ने मां से कहा मै यदि मुझे पुनः जन्म मिलेगा तो कर्म का भोग भोगना पड़ेगा इसलिए अपने कर्म को भोगना है इस जन्म में भोगे या उसे जन्म में भोगना तो पड़ेगा ही।
- कथा प्रारंभ होने से पूर्व मंच पर उपस्थित महामंडलेश्वर श्री संतोष दास सतुवा बाबा ने कथा के बारे में बताते हुए कहा कि शिव महापुराण कथा सबको कुछ न कुछ देकर जा रही है यहां सभी जाति सभी धर्म का समन्वय है जहां एक ओर मां गंगा में उस पर से इस पार करने के लिए हमारे केवट समुदाय के लोग आपको पार उतारने में पूरी तत्परता से लगे हैं वहीं क्षेत्र में अनेकों दुकान हैं सभी जाति और धर्म के लोग व उनकी दुकानों पर आई हुई भीड़ द्वारा सामानों की बिक्री हो रही है सबकी गरीबी मिट रही है ऑटो ड्राइवर आए हुए लोगों को घर तक और कथा स्थल तक छोड़ने का कार्य कर रहे हैं।वर्तमान में होली दीपावली धनतेरस इन सभी से बड़ा यह कथा कार्यक्रम है इससे बड़ा कोई त्यौहार नहीं हो सकता।
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