काशी से ग्वालियर तक निकलेगी यात्रा ,मांगेंगे की न्यायपालिका में हो भारतीय भाषा में काम

varanasi , liveupweb स्वाधीनता के 75 वर्ष के बाद भी देश में लोकतंत्र की स्थापना नहीं हो सकी। आज भी देश के न्यायालय फिरंगी भाषा में कार्य करने के लिए विवश हैं। भारतीय भाषा आंदोलन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री आशीष राय

रानी लक्ष्मी बाई के जन्म स्थान काशी से 14 जून से प्रारंभ होकर ग्वालियर बलिदान स्थल पर 18 जून को पहुंचेगी





  varanasi ,  liveupweb स्वाधीनता के 75 वर्ष के बाद भी देश में लोकतंत्र की स्थापना नहीं हो सकी। आज भी देश के न्यायालय फिरंगी भाषा में कार्य करने के लिए विवश हैं। भारतीय भाषा आंदोलन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री आशीष राय ने बताया कि भारतीय भाषा आंदोलन पिछले 12 वर्षों से न्यायालय में भारतीय भाषाओं के प्रवेश के लिए संघर्ष कर रहा है। संविधान के अनुच्छेद 348 में यह प्रावधान किया गया है कि देश की संसद जब चाहे कानून के द्वारा न्यायालयों से फिरंगी भाषा को दूर कर सकती है। परंतु दुर्भाग्य से आज तक  संसद कोई कानून नहीं बना सकी।
राष्ट्रीय महिला प्रमुख पूनम गौड़ ने बताया कि स्वाधीनता के अमृत महोत्सव काल में भारतीय भाषा आंदोलन की महिला इकाई ने यह तय किया है कि रानी लक्ष्मीबाई के जन्म स्थान काशी से 14 जून से प्रारंभ होकर अयोध्या प्रयाग बिठूर झांसी होते हुए उनके बलिदान स्थल बलिदान दिवस ग्वालियर में बलिदान दिवस 18 जून पर समाप्त होगी। इस यात्रा में देशभर की महिला अधिवक्ताओं की भागीदारी होगी।स्वमी विवेक चैतन्य जी की गरिमामयी उपस्थिति में
भारतीय भाषा आंदोलन द्वारा संचालित "वीरांगना न्यायाग्रह यात्रा" जो काशी से प्रारंभ होकर अयोध्या बिठूर,झांसी होते हुए ग्वालियर मैं संपन्न होगी, की योजना हेतु एक बैठक आज दिनांक 28/5/ 2022 को काशी में संपन्न हुई जिसमें भारतीय भाषा आंदोलन के श्री हरिगोविन्द उपाध्याय जी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,श्री अरविंद सिंह "राजा", अध्यक्ष -उत्तरप्रदेश,डॉ. संजय सिंह -महामंत्री, लखनऊ, श्री कपीश श्रीवास्तव जी, अध्यक्ष -राजस्व परिषद, लखनऊ इकाई रहे।

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