राजस्थान: 'मिजोरम पर बमबारी'! बीजेपी नेता के दावे पर सचिन पायलट का पलटवार कहा- मेरे पिता ने...!

कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मंगलवार को भाजपा आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय के इस दावे पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें कहा गया था कि, उनके पिता राजेश पायलट ने वायु सेना के पायलट के रूप में मार्च, 1966 में मिजोरम में बम गिराए थे।

राजस्थान: 'मिजोरम पर बमबारी'! बीजेपी नेता के दावे पर सचिन पायलट का पलटवार कहा- मेरे पिता ने...!

कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मंगलवार को भाजपा आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय के इस दावे पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें कहा गया था कि, उनके पिता राजेश पायलट ने वायु सेना के पायलट के रूप में  मार्च, 1966 में मिजोरम में बम गिराए थे। 

मालवीय ने इससे पहले एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में दावा किया था कि, राजेश पायलट और सुरेश कलमाडी भारतीय वायु सेना के मिशन में वे विमान उड़ा रहे थे, जिन्होंने 5 मार्च, 1966 को मिजोरम की राजधानी आइजोल पर बमबारी की थी। उन्होंने लिखा कि, बाद में दोनों कांग्रेस की टिकट पर सांसद और सरकार में मंत्री बने। यह स्पष्ट है कि इंदिरा गांधी ने पुरस्कार के रूप में राजनीति में जगह दी, पूर्वोत्तर में अपने ही लोगों पर हवाई हमले करने वालों को सम्मान दिया।" 

सचिन पायलट का पलटवार

पायलट ने बीजेपी नेता के इस दावें पर पलटवार करते हुए कहा कि, “@amitmalviya - आपके पास गलत तारीखें, गलत तथ्य हैं… हां, भारतीय वायु सेना के पायलट के रूप में, मेरे दिवंगत पिता ने बम गिराए थे। लेकिन वह हमला 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान पर था, न कि जैसा कि आप दावा करते हैं, 5 मार्च 1966 को मिजोरम पर।" पायलट ने एक्स पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "उन्हें 29 अक्टूबर 1966 को ही भारतीय वायुसेना में नियुक्त किया गया था! इसके साथ सचिन पायलट ने अपने ट्वीट में एक प्रमाणपत्र भी अटैच किया।
उन्होंने लिखा कि, हां, 80 के दशक में मिजोरम में युद्ध विराम और स्थाई शांति संधि स्थापित करवाने में एक राजनेता के रूप में मेरे पिता ने महत्वपूर्ण भूमिका जरूर निभाई थी। जय हिंद और स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं।"

1966 में मिजोरम में भारतीय वायुसेना के इस्तेमाल के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के फैसले की आलोचना को लेकर कांग्रेस ने पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की थी, जिसके बाद यह वाकयुद्ध शुरू हो गया। पीएम मोदी ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देते हुए इसका जिक्र किया था। 

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