ज्ञानवापी मस्जिद विवादः अब खुलेगा हिंदू मंदिर पर बने मस्जिद का रहस्य

VARANASI वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर व ज्ञानवापी मस्जिद विवाद अर्से बाद अब निर्णायक स्थिति की ओर अग्रसर है। इतिहासकारों के मुताबिक जिस श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर को ढहवा कर विदेशी आक्रांता औरंगजेब ने मस्जिद बनवाई थी।

VARANASI वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर व ज्ञानवापी मस्जिद विवाद अर्से बाद अब निर्णायक स्थिति की ओर अग्रसर है। इतिहासकारों के मुताबिक जिस श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर को ढहवा कर विदेशी आक्रांता औरंगजेब ने मस्जिद बनवाई थी। अब कोर्ट के आदेश पर उसका सर्वे शुरू हो गया है। इस मस्जिद और उसके पिछले हिस्से में मंदिर के अवशेष आज भी मौजूद हैं। हिंदू पक्ष इस बात के दावे तो अर्से से करता आ रहा है लेकिन अब इसकी असलियत उजागर करने का अब वक्त आ गया है। इसी क्रम में कोर्ट के आदेश पर छह माई शुक्रवार की दोपहर तीन बजे से वीडियोग्राफी व सर्वे का काम शुरू हो गया। 


वैसे ही श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर व ज्ञानवापी परिसर में कमांडो दस्ते से लेकर पांच स्तरीय सुरक्षा बराबर रहती है लेकिन सर्वे को लेकर सुरक्षा के और मुकम्मल इंतजाम कर दिये गये हैं। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। खुफिया तंत्र इस मामले पर कड़ी नजर रखे हुए है। उधर, कोर्ट में मुस्लिम पक्ष सर्वे का विरोध करता रहा। लेकिन पिछले दिनों जब सर्वे का दोबारा कोर्ट ने आदेश दिया तो अंजुमन इंतेजामिया कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने विरोध का एलान कर दिया था। इसे लेकर हलचल बढ़ गई थी। अब जब शुक्रवार को सर्वे के लिए तैयारी होने लगी तो पता चला कि विरोध का एलान करनेवाले एसएम यासीन का रक्तचाप बढ़ गया है और वह मीडिया से बात करने से कतरा रहे थे। गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद के पिछले हिस्से की दीवार से सटे माता श्रृंगार गौरी सहित अन्य विग्रहों की मूर्तियां हैं। श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन के लिए दशकों से धर्मावलम्बी दर्शन-पूजन की इजाजत मांगते आ रहे थे। लेकिन इसकी इजाजत नही दी गई। जिसने भी दर्शन का एलान किया उसकी गिरफ्तारी कर ली गई। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थित श्रृंगार गौरी सहित अन्य विग्रहों में दर्शन पूजन और सुरक्षा की मांग को लेकर वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन की ओर से कमीशन की कार्रवाई के तहत कोर्ट कमिश्नर की ओर से सर्वे और वीडियोग्राफी होनी है। इसमें वादी हिंदू पक्ष से लगभग 15 लोग तो वहीं कोर्ट कमिश्नर की टीम में उनके अलावा दो सहयोगी और तीन फोटो और वीडियोग्राफर भी मौजूद है। दोपहर तीन बजे से सर्वे का काम शुरू होगा। सुरक्षा के मद्देनजर ज्ञानवापी मस्जिद के रास्ते पर लगाया गया होर्डिंग व वीडियोग्राफी से पहले मस्जिद को ढकने की कवायद हुई। फिर सर्वे का कार्य दोनों पक्षों की मौजूदगी में शुरू हुआ।  


यह है मामला
इससे पहले श्रीकाशी विश्वनाथ- ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में कोर्ट ने अपने पूर्व फैसले को बरकरार रखते हुए परिसर और आसपास के इलाके में सर्वे का आदेश दिया था। अदालत ने कहा था कि सर्वे तीन मई के बाद और 10 मई से पहले पूरा किया जाना है। 10 मई को इस मामले की अगली सुनवाई होनी है।

इस काम के लिए अधिवक्ता कमिश्नर पहले से ही नियुक्त किया जा चुका है। वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने परिसर के सर्वे का आदेश दिया हैं। इस आदेश के तहत यहां अधिवक्ता कमिश्नर के साथ पक्ष और विपक्ष का एक-एक सहायक भी मौजूद होगा। बता दें कि इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी विश्वेश्वर नाथ मंदिर वाराणसी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी, गणेश, हनुमान, नंदी व तमाम दृश्य, अदृश्य देवताओं की

मूर्तियों का मौके पर निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर हस्तक्षेप से इंकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि साक्ष्य एकत्रित करने के लिए यदि कमीशन भेजा गया है तो इससे याची के अधिकार का उल्लघंन नहीं होता। कमीशन भेजना कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की प्रबंध समिति की तरफ से दाखिल याचिका खारिज कर दी थी। यह याचिका सिविल जज सीनियर डिवीजन द्वारा एडवोकेट कमिश्नर भेजने के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी। यह आदेश जस्टिस जेजे मुनीर ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया गया था। इस मामले में अगस्त 2020 में हिंदू महासभा की तरफ से राखी सिंह व चार अन्य महिलाओं ने श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद, वाराणसी के पुलिस कमिश्नर, कमिश्नर, जिलाधिकारी समेत उत्तर प्रदेश सरकार को विपक्षी पक्ष के तौर पर शामिल किया गया है। इस प्रकरण में आठ अप्रैल को कोर्ट की तरफ से ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर की वास्तविक स्थिति जानने के लिए वकील कमिश्नर के तौर पर अजय कुमार मिश्रा की नियुक्ति की गई और 20 अप्रैल तक मौके की वीडियोग्राफी कर रिपोर्ट मांगी गई थी। 18 अप्रैल को वाराणसी प्रशासन और अंजुमन इंतजामियां मसाजिद की तरफ से कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर वीडियोग्राफी को लेकर वस्तु स्थिति तय करने और संख्या बल के साथ ही कई अन्य प्रतिबंधित स्थानों समेत मस्जिद के अंदर गैर मुसलमानों के प्रवेश पर रोक की बात भी कही गई थी। इसमें मस्जिद के दक्षिणी गेट से सिर्फ वर्ग विशेष और सुरक्षाकर्मियों को ही जाने की अनुमति की बात कह कर अंदर वीडियोग्राफी की अनुमति न देने की बात भी कही गई थी। लेकिन इन सभी कवायदों के बाद अब सर्वे का काम शुरू होने जा रहा है।

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