काशी तमिल संगमम द्वितीय संस्करण वर्ष 2023 के तृतीय चरण में नमो घाट का मुक्ताकाही प्रांगण तमिलनाडु एवं काशी के कलाकारों के स्वर ताल से तरंगित हुआ

काशी-तमिल संगमम-2 के चौथे दिन तीसरी सांस्कृतिक संध्या पर आठ सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां हुईं। इसमें काशी की भी 2 प्रस्तुतियां शामिल थीं। तमिलनाडु से वाराणसी आए सभी अध्यापकों के डेलीगेशन में नमो घाट पर आयोजित सभी प्रस्तुतियों को देखा। काशी तमिल संगमम-2 का आयोजन उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र तंजावूर, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किया गया है। मां गंगा के तट पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में को सुन डेलीगेट्स मंत्रमुग्ध हो गए।

काशी तमिल संगमम द्वितीय संस्करण वर्ष 2023 के तृतीय चरण में नमो घाट का मुक्ताकाही प्रांगण तमिलनाडु एवं काशी  के कलाकारों के स्वर ताल से तरंगित हुआ

लागी बयरिया, मैं सो गई ननदी, सइंया दुवरिया से फिर गयो हरो राम

काशी-तमिल सांस्कृतिक संध्या की तीसरी शाम      
                             
  बनारस का सुर सुन मुग्ध हुए तमिल डेलीगेट्स


काशी-तमिल संगमम-2 के चौथे दिन तीसरी सांस्कृतिक संध्या पर आठ सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां हुईं। इसमें काशी की भी 2 प्रस्तुतियां शामिल थीं। तमिलनाडु से वाराणसी आए सभी अध्यापकों के डेलीगेशन में नमो घाट पर आयोजित सभी प्रस्तुतियों को देखा। काशी तमिल संगमम-2 का आयोजन उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र तंजावूर, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किया गया है। मां गंगा के तट पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में को सुन डेलीगेट्स मंत्रमुग्ध हो गए।
 
बुधवार शाम ही पहली प्रस्तुति वाद्य लोक आधारित पांबई के नाम रही। तमिलनाडु की इस प्रस्तुति को कलाइमामणि अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। तमिलनाडु के कलाकार के. कुमारावेल और उनके दल यह खास प्रस्तुति ढोलक जैसे वाद्य यंत्रों पर दी। इसके बाद कलाइमामणि अवार्ड से भी सम्मानित दूसरी प्रस्तुति नैयंडी मेलम की हुई। कलाकार पी मुरुगन ने अपनी टीम के साथ वाद्य यंत्रों पर फोक संगीत की प्रस्तुति दी।


तीसरी प्रस्तुति वाराणसी घराने के गायन की रही। बीएचयू के प्रोफेसर पंडित राम शंकर और उनकी टीम ने शास्त्रीय गायन पर प्रस्तुति दी। उनके साथ तानपुरे पर सचिन, हारमोनियम पर राघवेंद्र शर्मा , तबले पर अभिनंदन मिश्रा और गायन में ईशान घोष ने संगत की। प्रोफेसर राम शंकर ने लागी बयरिया, मैं सो गई ननदी, सइंया दुवरिया से फिर गयो हरो राम जैसे शास्त्रीय गीतों पर बड़ी बेजोड़ प्रस्तुति दी।

चौथी प्रस्तुति भरतनाट्यम की रही। तमिलनाडु के तंजावुर से आईं अबिरामी शंकर और उनकी टीम ने भारतनाट्यम की बड़ी मनोहारी प्रस्तुति दी। यह देख अध्यापकों के डेलीगेशन ने खूब तालियां बजाईं।
पांचवीं प्रस्तुति वाराणसी से कथक नृत्य की रही। बनारस घराने से गौरव और सौरव शर्मा ने यह नृत्य कर तमिलनाडु से आए शिक्षकों के डेलीगेट्स को हतप्रभ कर दिया। छठवीं प्रस्तुति सक्काकुचियट्टम, मानकोमबट्टम और थपट्टम की हुई। तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली से आए कलाकार एस साथ्यां ने अपनी पूरी टीम के साथ इसकी प्रस्तुति दी।सातवीं प्रस्तुति पेरियालम की रही। नमो घाट पर तमिलनाडु के तिरुवनामलाई से आए कलाकार ए. बालमुरुगन और उनकी टीम ने बेहतरीन प्रस्तुति दी।
आठवीं और अंतिम प्रस्तुति कारगम, कवडी, ओलियाट्टम और नैयांदिमेलम की रही। पेरामपालुर से आए कलाकार वी. निथिया विजय कुमार की प्रस्तुति ने लोगों को सोचने पर विवश कर दिया।

तमिल डेलिगेट्स ने देखी गंगा आरती

सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद डेलिगेट्स का दल क्रूज पर सवार होगा गंगा आरती में पहुंचे। क्रूज से सभी डेलिगेट्स को विश्वनाथ मंदिर गंगा द्वार देख कर बाबा का आशीर्वाद लिया। उनके बाद वह दशाश्वमेध घाट पहुंचे जहां उन्होंने विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती देखी। गंगा आरती देख सभी डेलिगेट्स अभिभूत हो गये। हर कोई सेल्फी और फोटो लेता दिखाई दिया। क्रूज से ही तमिल डेलिगेट्स को सभी घाटों की भव्यता और दिव्यता को दिखाया गया और वहां की विशेषता के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गई।

        वाराणसी। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र तंजावूर  संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित काशी  तमिल संगमम के द्वितीय संस्करण का तृतीय चरण बुधवार को नमोघाट स्थित मुक्ताकाशी प्रांगण में सम्पन्न हुआ। जिसमे तमिलनाडु एवं काशी के कलाकारों ने  अपनी मनोरम प्रस्तुतियों से उपस्थित कलाप्रेमियों को भाव विभोर किया।
     प्रथम प्रस्तुति रही धरमपूरी तमिलनाडु के श्री के कुमारवेल  मार्गदर्शन में सहयोगी कलाकारों द्वारा पारंपरिक लोक वाद्य पम्बई वृन्द वादन की जिसने  सभी को झूमने को प्रेरित किया। द्वितीय प्रस्तुति रही श्री पी मरुंगन के  निर्देशन  में तमिलनाडु के  पारंपरिक लोक नृत्य *नयन्दी मेलम की, जिसमे  लयबद्ध होकर कभी वृत्ताकार कभी एक रेखा में  सुरीली धुनों के साथ अवनद्य वाद्यों के साथ लोक संगीत की अभिव्यक्ति से अपनी महान विरासत को दर्शाया। तृतीय प्रस्तुति रही बी एच यू के मंच कला संकाय के प्रोफेसर डॉ रामशंकर जी द्वारा सुमधुर गायन की आपके  साथ तबला संगति रही।अभिनंदन मिश्रा एवं संवादिनी पर साथ दिया। राघवेंद्र शर्मा ने एवं गायन में सहभागी रहे। ईशान घोष तथा तानपुरा पर सचिन रहे। डॉ रामशंकर ने आरम्भ किया। शिव बंदना से बोल थे हर हर महादेव दादरा सुनाया बोल थे लागी बयरिया मैं सोया रही थी। समापन हुआ भजन से बोल थे निर्मल काया बहती गंगा। चतुर्थ प्रस्तुति रही तंजावुर की अबिरामी राजेश कानन एवं उनके सहयोगियों द्वारा भरतनाट्यम नृत्य की  जिसमे श्रृंगार एवं समर्पण दोनो भावों की  रसपूर्ण अभिव्यक्ति रही। पांचवी प्रस्तुति रही वाराणसी के युवा कथक नर्तक बंधुओ गौरव तथा सौरव मिश्रा द्वारा आकर्षक कथक नृत्य की। जिसमे  पारंपरिक कथक के अंतर्गत रेला आमद एवं घुँघरुओ की झनक के माध्यम से दोनो कलाकारों ने लयात्मक कौशल को प्रमाणित किया। छठी प्रस्तुति रही त्रिचिरापल्ली के एस सत्यम एवं उनके सहयोगियों द्वारा थप्पाट्टम लोक वाद्य वादन की। सातवी प्रस्तुति रही ए बाला मुरगन के मार्गदर्शन में  पेरियामेलम लोक कला के प्रदर्शन की जिसने सभी को आनंदित किया। आठवी प्रस्तुति रही। वी नीथिया विजयकुमार के मार्गदर्शन  में   रमिलनाडू की विशिष्ट पारम्परिक लोक कला के रूप में करागम लोक नृत्य के साथ पारम्परिक लोक वाद्य वादन कवाडी की चित्ताकर्षक प्रस्तुति। जिसमे लोक वाद्य वृन्द के साथ नृत्य परक अभिव्यक्ति रसपूर्ण रही।  जिसमे कलाकारों ने द्रुत गति में सृजित लय ताल से  उपस्थित युवाओं को थिरकने पर प्रेरित कर दिया।
कार्यक्रम का संयोजन प्रो सुरेश शर्मा निदेशक उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज द्वारा किया गया। अंत मे धन्यवाद ज्ञापित किया उतर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के कार्यक्रम अधिशाषी अजय गुप्ता ने एवं कार्यक्रम का संचालन किया अंकिता खत्री ने।

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